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पूरा विश्व कोरोना वायरस से निजात पाने को बेताब, मेगास्टार आज़ाद

  • Writer: MAHARISHI AAZAAD
    MAHARISHI AAZAAD
  • Apr 6, 2020
  • 2 min read

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मिलिटरी स्कूल के विद्यार्थी, संस्कृत के अंतरराष्ट्रीय ब्रांड एम्बेसडर, संस्कृत महानायक की उपाधि से विभूषित मेगास्टार आज़ाद ने कहा कि आज कोरोना वायरस से दुनिया हलकान है और पूरा विश्व इससे निजात पाने को बेताब है। सभी देश अपने स्तर से निपटने के भरसक प्रयास कर रहे है और इन प्रयासों में आमजन का यथासम्भव सहयोग भी प्राप्त हो रहा है।

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इन सबके बीच एक मूर्खतापूर्ण और शर्मनाक घटना सामने आई है। एक वृध्द ने मणिपुर की एक लड़की पर कोरोना कहते हुए पान थूक दिया। यह कृत्य नस्लवादी होने के साथ अत्यन्त निंदनीय है। इस मेरी आज़ाद टीम के महत्वपूर्ण सदस्य एवं JNU के विद्यार्थी योगेन्द्र भारद्वाज ने यह लेख लिखा है।

उसकी गलती क्या यह थी,कि वह पूर्वोत्तर क्षेत्र से थी। तो उत्तर है- नहीं। बल्कि गलती यह थी कि आजादी के 70 साल बाद भी उस जैसे वृद्ध की मानसिकता में नस्ल का कीड़ा विद्यामान है। हम यदि भारत को "भारतमाता" मानें, तो पूर्वोत्तर क्षेत्र भारतमां के हाथ कहे जाएंगे। अब आप समझ सकते हैं कि भारत माता के हाथों पर थूकना कितना जायज है।

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समाज में अन्य स्थानों पर भी देखा जाता है कि हमारे बीच के ही कुछ लोग हमारे #पूर्वोत्तर के भाई-बहनों-मित्रों को #चिंकी या #चायनीज" कहकर सम्बोधित करते हैं, वहीं दक्षिण भारत के लोगों को लेकर भी भद्दे कमेंट करते हैं। यह सब #नस्लवाद के अंतर्गत आता है।

हम सभी ऐसे असंख्य लोगों को जानते हैं, जो पूर्वोत्तर क्षेत्र के हैं और हमारे साथ आसपास रहते हैं और सदैव हमारे कार्यों में सहयोग करते हैं। जलवायु विशेष के कारण ही प्रत्येक स्थान पर लोगों का शारीरिक गठन भांति -भांति प्रकार का होता है।

भारतीय संस्कृति #वसुधैव कुटुम्बकम्" की भावना सिखाती है। भारत में रहने वाले सभी भारतीय हैं। इसलिए इस समय ही नहीं, अपितु सदैव प्रत्येक भारतीय (कश्मीर से कन्याकुमारी और गुजरात से अरुणाचल प्रदेश तक) को सम्मान दें और नस्लवादी भावना को नकारें।

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कहा जाता है कि "जो व्यवहार स्वयं को अच्छा न लगे, वह दूसरों के प्रति नहीं करना चाहिए"। याद कीजिए जब अंग्रेज भारतीयों को काला कहकर बुलाते थे, तो कैसा लगता था?


सभी भारतीयों को #काला" सुनकर गुस्सा आता था और आज अंग्रेज जब भारत से चले गए, तो कुछ श्यामले लोगों को देखकर हम काला कह देते हैं। इसलिए पूर्वोत्तर हो या दक्षिण भारत, मध्य भारत या उत्तरभारत या पूर्व भारत, सभी को सम्मान देना चाहिए।

हम रुके विश्व को जोड़ने की बात करने वाले इस प्रकार की हरकतों से विश्व को क्या संदेश दे रहें है।इन तमाम तरह की नस्लीय हरकतों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।













 
 
 

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